इतनी निर्दयता हाय,कहाँ से हो पाती, प्रकृति खड़ी है मौन,क्यों नहीं रो पाती, इतनी निर्दयता हाय,कहाँ से हो पाती, प्रकृति खड़ी है मौन,क्यों नहीं रो पाती,
ये सूरज, चाँद व तारे, सुंदर हैं इनके नजारे! नील गगन में रहते हैं, लगते हैं कितने प् ये सूरज, चाँद व तारे, सुंदर हैं इनके नजारे! नील गगन में रहते हैं, लगते ...
सपरिवार सुख दुःख बांट कर सीने से लगाया करता था। सपरिवार सुख दुःख बांट कर सीने से लगाया करता था।
पुष्प-सार का है मधुवन पुष्प-गुच्छक से झूमे उपवन। पुष्प-सार का है मधुवन पुष्प-गुच्छक से झूमे उपवन।
इंसानी तौर - तरीकों से जुदा… बेहद ख़ूबसूरत… बेहद अलहदा…। इंसानी तौर - तरीकों से जुदा… बेहद ख़ूबसूरत… बेहद अलहदा…।